Paytm की सफलता की कहानी बिजय शेखर शर्मा baiography in hindi
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दोस्तो आज के इस article में मैं बात करने वाला हूँ paytm की सफलता के बारे में जिसके संस्थापक बिजय शेखर शर्मा जिन्होंने कठिन परिश्रम और कई असफलताओं का सामना करके paytm जैसी कंपनी की स्थपना कर सफलता का परचम लहराया । तो दोस्तो आइये जानते है paytm की सफलता के बारे में सुरु से ।
बिजय शेखर शर्मा biography in hindi
दोस्तो विजय शेखर शर्मा एक मिडिल क्लास परिवार से थे। इनकी माता जी हाउसवाइफ थीं और पिता जी एक बेहद ईमानदार स्कूल टीचर थे, जो ट्यूशन पढ़ाने को भी अनैतिक मानते थे। भले ही विजय को अमीर घरों की सहूलियतें ना मिली हों पर निश्चित ही माता-पिता के संस्कार उन्हें मिले थे। विजय की प्रारम्भिक शिक्षा किसी महंगे स्कूल में नहीं बल्कि विजयगढ़ के एक साधारण से हिंदी मीडियम स्कूल में हुई। पढने में इंटेलीजेंट विजय हमेशा अपनी क्लास में फर्स्ट आते थे और इंटेलीजेंट होने के कारण उन्होंने क्लास 12th की परीक्षा महज 14 वर्षों में ही उत्तीर्ण कर लिया था ।
फिर आगे की पढ़ाई के लिए विजय ने delhi इंजिनीरिंग कॉलेज में एड्मिसन ले लिया एड्मिसन तो मिल गया लेकिन आगे का रास्ता आसान नहीं थी। शुरू से हिंदी माध्यम से पढाई करने के कारण इनकी इंग्लिश बहुत कमजोर थी और जिसके कारण कॉलेज में उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्कूल का टॉपर रहे विजय इंजिनीरिंग के पेपर्स में बड़ी ही मुश्किल से पास हो पा रहे थे, और ये सब बस अंग्रेजी ना जानने के कारण हो रहा था। विजय हताश होने लगे वे क्लास कम करने लगे कई बार घर वापस लौटने का विचार भी उनके मन में आया पर वे टिके रहे विजय ने ठान लिया कि वे पहले अंग्रेजी को ठीक करेंगे इसके बाद वे बाज़ार से पुरानी किताबें और मैगजींस उठा लाये और अपने दोस्तों की मदद से अंग्रेजी सीखने लगे। इसके लिए उन्होंने एक अनोखा तरीका भी अपनाया, वे एक ही किताब का हिंदी और इंग्लिश वर्जन खरीद लाते और दोनों को पढ़ते। इंसान की सबसे बड़ी पॉवर उसकी इच्छाशक्ति होती है और
विजय शेखर शर्मा की सबसे बड़ी पॉवर उनकी इच्छाशक्ति है जिसके दम पर वह कुछ भी करने और कुछ भी कर दिखाने के लिए डटे रहे और अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने जल्द ही इंग्लिश पे पकड़ बना ली। और क्लास ना करने के कारण उनके के पास काफी सामय रहता था, इस समय में विजय yahoo के फाउंडर भाटिया से प्रेरित होकर इन्टरनेट के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहते थे, क्योकि Yahoo स्टेनफोर्ड कॉलेज कैम्पस में बनी थी, इसलिए वे वहां जाकर पढाई भी करना चाहते थे लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति और इंग्लिश ठीक नही होने कारण उनके लिए ये संभव न हो सका पर एक चीज संभव थी विजय स्टेनफोर्ड के ही कुछ जीनियस को फॉलो करते हुए खुद से कोडिंग सिख सकते थे और उन्होंने वही किया उन्होंने किताबों से पढ़-पढ़ कर कोडिंग सीखी और खुद का एक कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम कर दिया, जिसे आगे चल कर इंडियन एक्सप्रेस सहित किये सारे बड़े अखबार प्रयोग करने लगे।
Xs नाम की कंपनी की सुरुआत
इसके बाद इन्होंने कॉलेज के 3rd year में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर xs नाम की कंपनी शुरू की। और उनका यह बिजनेस बहुत से लोगों को पसंद आया। 1999 में विजय शेखर ने xs को usa की लोटस इंटरवर्क को $5,00,000 में बेच दिया। और इसी कम्पनी में वे एक एम्प्लॉय बन कर काम करने लगे। पर दूसरों की नौकरी करना शेखर शर्मा को पसंद नहीं आया और उन्होंने जल्द ही नौकरी छोड़ दी। लेकिन बिजनेस का स्वाद चख चुके शेखर भला खाली कैसे बैठते, उनका दिमाग तुरंत नए business की खोजने में लग गये और इसके बाद उन्होंने one97 की स्थापना की
One97 की स्थापना
दोस्तो नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने 2001 में one97 नाम की कंपनी शुरू की। इस कंपनी में शेखर ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा डाली लेकिन डॉट कॉम बूस्ट के कारण यह कंपनी नहीं चली जिसके कारण उन्हें को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस कठिन समय में इनके दोनों साथी भी one97 छोड़ कर चले गए| विजय नयी दिल्ली में कश्मीरी गेट के पास एक सस्ते से हॉस्टल में रहने लगे। एक वक्त तो ऐसा भी आया जब पैसा बचाने के लिए ये पैदल ही अपनी मंजिल का सफ़र तय करते थे तो कभी केवल दो कप चाय पर पूरा दिन गुजार देते थे। लेकिन फिर भी नही रुके और कोशिस करते रहे और फिर उनकी कोशिशें रंग लाने लगीं gsma और cdma मोबाइल ऑपरेटर्स को इन्नोवेटिव सर्विसेस प्रोवाइड करने वाली उनकी कम्पनी फिर से चलने लगी और मुनाफा कमाने लगी।
Paytm की स्थापना
दोस्तो अब बात करते है paytm की दोस्तो बाजार में स्मार्टफोन बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहे थे और यहीं से
उनके दिमाग में कैशलेस ट्रांजेक्शन का आइडिया आया।
उन्होंने one97 के बोर्ड के सामने पेमेंट इकोसिस्टम में इंटर करने का प्रपोजल रखा। क्योकि ये एक नॉन एसिस्टेंट मार्केट था और कम्पनी पहले से चल नही रही थी इसलिए कोई भी ये रिस्क उठाने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में विजय चाहते तो अपने आईडिया को लेकर अलग से एक कम्पनी शुरू कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनका कहना था कि कोई और enterpreneur होता तो अपनी equity बेच कर खुद की एक कम्पनी शुरू कर देता। लेकिन मेरी इच्छा एक 100 साल पुरानी कम्पनी बनाने की है। मेरा मानना है कि बॉयस और मेन इसलिए अलग हैं क्योंकि बॉयज एक झटके में कम्पनी बेच देते हैं। मेन कंपनी चलाते हैं और विरासत का निर्माण करते हैं।
शर्मा ने अपनी पर्सनल इक्विटी का 1%, करीब $2 mn अपने नए विचार के लिए सामने रखा और 2001 में कर दिया paytm की स्थापना। सुरुआती दौर में यह dth और मोबाइल रिचार्ज के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही थी। फिर paytm अपनी सर्विसेस बढ़ानी शुरू की। पहले बिजली बिल, गैस का बिल पेमेंट की सुविधा दी और फिर paytm ने ऑनलाइन कंपनियों की तरह सामान बेचना शुरू कर दिया। और साल पहले हुए नोट बैन ने paytm का काम और भी आसान कर दिया और देखते-देखते paytm करोड़ों लोगों की ज़रुरत बना गया। वर्तमान समय में paytm भारत के सभी राज्यों में प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज, dth रिचार्ज, पोस्टपेड मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट आदि की सेवाएँ प्रदान कर रहा है। आज paytm भारत की सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन पेमेंट वेबसाइट है और इसका कुल कारोबार 15,000 करोड़ रुपए के करीब पहुंच चुका है।
दोस्तो इकॉनोमिक टाइम्स ने विजय शेखर शर्मा को भारत का bussiness leader under 40 के रूप में चुना है। विजय शेखर शर्मा हर उस भारतीय के लिए आदर्श है जो अपनी मेहनत से कुछ बनना चाहता है क्योकि यह उस इन्सान की कहानी है जिसने million dollar company का सपना तब देखा था जब उसकी जेब में खाना खाने के लिए 10 रूपये भी नहीं थे।
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